भरतनाट्यम पाठ्यक्रम मूल तत्व
भरतनाट्यम एक शब्द है, जिसे नृत्य के चार सबसे महत्वपूर्ण तत्वों (संस्कृत में) से लिया गया है। इस प्रकार इसकी भावना, संगीत, लय और अभिव्यक्ति का एक संयोजन है। यह शास्त्रीय नृत्य के सभी पारंपरिक पहलुओं को शामिल करता है – मुद्रा (हाथ की स्थिति), अभिनय (चेहरे का भाव) और पद्म (कथा नृत्य)।
भरत नाट्यम की तकनीक में हाथ, पैर, मुख व शरीर संचालन के समन्वयन के 64 सिद्धांत हैं, जिनका निष्पादन नृत्य पाठ्यक्रम के साथ किया जाता है।
मूल तत्व
भरत नाट्यम में जीवन के तीन मूल तत्व – दर्शन शास्त्र, धर्म व विज्ञान हैं। यह एक गतिशील व सांसारिक नृत्य शैली है, तथा इसकी प्राचीनता स्वयं सिद्ध है। इसे सौंदर्य व सुरुचि संपन्नता का प्रतीक बताया जाना पूर्णत: संगत है। वस्तुत: यह एक ऐसी परंपरा है, जिसमें पूर्ण समर्पण, सांसारिक बंधनों से विरक्ति तथा निष्पादनकर्ता का इसमें चरमोत्कर्ष पर होना आवश्यक है। भरत नाट्यम तुलनात्मक रूप से नया नाम है। पहले इसे सादिर, दासी अट्टम और तन्जावूरनाट्यम के नामों से जाना जाता था।
ग्रीवा भेद या गर्दन आंदोलन , द्रस्थी भेद , अदवू ,नव ग्रह हस्त ,
संयुक्तहस्त , अलारीपु ,महान कलाकारो की जीवनी
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