* बचपन के दोस्तो एक बार फिर से मिलो*
बस एक बार तो मिला दे
मेरे दोस्तो से , ऐ जिन्दगी ।
मिलना चाहती हू ।
यारो से अपने बचपन के ।
चाह्ती हू रोना जोरो से ।
मिलकर उनसे कसकर गले ।
हसी का ठहाका लगाते हुए ।
जब बैठूगी साथ ,
कंधे मै सर रख कर उनके ,
चिल्लाना चाह्ती हू ।
बस एक बार तो मिला दे ।
मेरे बचपन के दोस्तो से ।
ऐ जिन्दगी ।
ना ले अब और इन्तहाँन मेरे सब्र का ।
अपने लिये भी अब जीना सिखा दे ।
कुछ प्यार अपने आप को भी करना सिखा दे ।
भूल गई थी अपने आप से प्यार करना ।
भूल गई थी अपने आप को घंटो शीशे मै निहार्ना ।
दोस्तो से मिलाकर पुरानी यादे ।
अब तो दिला दे बचपन की ।
एक बार फिर से अपना मजाक उड़ाने दे उनसे ।
एक बार फिर तो हसा दे मुझे भी ।
एक बार फिर से तो हसने दे हमे भी ।
चालिस को पार करने मै भी ।
साथ दिलवा दे मेरे दोस्तो का ।
एक बार तो मिलवा दे उनसे ।
बस , एक बार तो मिला दे ।
मेरे दोस्तो से फिर से ।
यारो से अपने बचपन के ।
मिलना चाहती हू दोबारा उनसे ।
चाह्ती हू रोना जोरो से ।
मिलकर उनसे कसकर गले ।
बस एक बार तो मिला दे
मेरे दोस्तो से , ऐ जिन्दगी ।
*बिदेश्वरी उनियाल किशवान्ं*
No comments:
Post a Comment