Tuesday, 2 March 2021

बचपन के दोस्तो एक बार फिर से मिलो*

 

बचपन के दोस्तो एक बार फिर से मिलो*




बस एक बार तो मिला दे 

मेरे दोस्तो से , ऐ जिन्दगी ।


मिलना चाहती हू । 

यारो से अपने बचपन के ।

चाह्ती हू रोना जोरो से ।

मिलकर उनसे कसकर गले ।


हसी का ठहाका लगाते हुए ।

जब बैठूगी साथ ,


कंधे मै सर रख कर उनके , 

चिल्लाना चाह्ती हू । 

बस एक बार तो मिला दे ।


मेरे बचपन के दोस्तो से ।

ऐ जिन्दगी ।

ना ले अब और इन्तहाँन मेरे सब्र का ।


अपने लिये भी अब जीना सिखा दे । 

कुछ प्यार अपने आप को भी करना सिखा दे ।

भूल गई थी अपने आप से प्यार करना  ।

भूल गई थी अपने आप को घंटो शीशे  मै निहार्ना ।

दोस्तो से मिलाकर पुरानी यादे ।

अब तो दिला दे बचपन की ।


एक बार फिर से अपना मजाक उड़ाने दे उनसे । 

एक बार फिर तो हसा दे मुझे भी । 

एक बार फिर  से तो हसने दे हमे भी ।


चालिस को पार करने मै भी ।

साथ दिलवा दे मेरे दोस्तो का ।


एक बार तो मिलवा दे उनसे ।

बस , एक बार तो मिला दे ।

मेरे दोस्तो से फिर से ।


यारो से अपने बचपन के ।

मिलना चाहती हू दोबारा उनसे ।


चाह्ती हू रोना जोरो से ।

मिलकर उनसे कसकर गले ।


बस एक बार तो मिला दे 

मेरे दोस्तो से , ऐ जिन्दगी ।


*बिदेश्वरी उनियाल किशवान्ं*

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