Saturday, 18 July 2020

गल्तियां जिन्दगी की ।


गल्तियां जिन्दगी की ।

गल्तियां जिन्दगी की 
सुधार लो समय रह्ते ।

बहुत गल्तियां होती चली गई थी जिन्दगी मे
और हमको पता भी ना चला ।

बस यही सोचते रह गए की 
हम अच्छे हैं और दूसरे बुरे हैं l ...

हम अच्छे हैं और दूसरे बुरे हैं l ....
इस बात का फैसला जब हम ईमानदारी से करते हैं
तो अक्सर शर्मिन्दा हो जाते हैं..!! 

बहुत इंतजार किया .....
फिर मैंने आवाज़ देकर भी देखा 
बीता वक़्त आया ही नहीं ..!!

बहुत गल्तियां होती चली गई थी
और हमको पता भी ना चला ।

जब अकल आई काफी देर हो चली थी ।
सब बिखर गया सब खतम हो चुका था । 

सुधार लो अपनी गलतियो को समय रह्ते।
प्यार करो अपनो से।

ना कडवा बोलो दूसरो से ।
उपर वाला सब अपने कंप्यूटर की चिप में
नोट डाउन कर रहा है ।
जहा उसका खता भरा नही
के सबक शिखाने पहुच जाते है भगवन । 

काफी ठोकरे लगती है।
पर नही समझ पाता इन्सान भगवान का इशारा ।

कभी अपने अंदर झाक कर देख ऐ इन्सान।
कचरा ही दिखेगा

दूसरो को जिस नजरिये से देखोगे वैसा ही दिखेगा ।

अच्छा देखोगे अच्छा दिखेगा ।
गन्दा देखोगे गन्दा दिखेगा ।



बिदेश्वरी उनियाल द्वारा लिखित

कृपया प्रस्तुत कविता को माध्यमिक कक्षा के लिये प्रिंट करने की लिय्र कमेंट बॉक्स मै कमेंट करे ।- (हाँ या ना)

धन्यवाद 🙏

चित्रितकार 
बिदेश्वरी उनियाल 

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